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क्लिप

Shubhshree mathur

कोई आज़ाद पंछी नहीं

ना ही उसका कोई पंख


मैं तो वह छत पर बंधे

तार पर टंगा कपड़ा हूं

जिस पर क्लिप

लगाए जाते हैं


हवा का झोंका

भरोसा दिला गया

कि आंधी आएगी

मुझे छुड़ाने

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