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Shubhshree mathur

लोग

जो आग में तपे

वो माथे की राख हैं


आग लगाने वाले तो

ज़हरीला रसायन हैं, धुँआ हैं,

नापाक हैं


फिर वो हैं जो आग देख

भाग कर आते हैं


भाई सर्दी है

हाथ सेकने वाले भी लाख हैं

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